 असमर्थ/ विकलांग बच्चों/ व्यक्तियों की षिक्षण/ प्रषिक्षण प्रणाली में समय के साथ कई परिवर्तन हुये हैं। एक विकलांग व्यक्ति अपनी प्रच्छन्न/ छिपी हुई शक्तियों के विषय में अनभिज्ञ होने के कारण उसे न ही मनवोचित व्यवहार प्राप्त होता है और न उसे सुगढ़ जीवन व्यतीत करने हेतु उत्प्रेरित किया जाता है। असमर्थ व्यक्तियों की समेकीकित शिक्षा, असमर्थ/ विकलांग बाल बच्चों की कक्षाओं में नियमित शिक्षा से प्रारम्भ होती है। प्रत्येक समाज में निर्धारित शैक्षिक गतिविधियों के अनुसार ऐसे असमर्थ बच्चों की विषिष्ट आवष्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुये उन्हें कक्षाओं में सीखने का अवसर प्रदान किया जाता है।लक्ष्य - असमर्थ बच्चों को न्यूनतम रूप से प्रतिबन्धित करने वाला परिवेष उपलब्ध कराना ताकि वे अन्य बच्चों की तरह विकसित हो सकें।
- गंभीर असमर्थता से परेषान बच्चों को औपचारिक शासकीय विद्यालयों में आहिस्ता - आहिस्ता सुसम्बद्ध करना।
- अभिभावकों/ बच्चों को परामर्ष देना।
- इन बच्चों में मानव क्षमता विकसित किये जाने हेतु सामान्य अध्यापकों , डीआईईटी अध्यापकों एवं भ्रमणषील अध्यापकों द्वारा व्यक्तिगत रूप से इनके षिक्षण कार्य में समर्थन दिया जाना।
- इनके निमित्त संसाधन केन्द्र स्थापित किया जाना।
- इनअसमर्थबच्चोंकोसमानअवसरप्रदानकरतेहुयेइन्हेंसमाजकेअन्यसदस्योंकेसमानजीवनव्यतीतकरनेहेतुतैयारकरना
लक्ष्य आयु वर्ग - 6 से 14 वर्ष गतिविधियाँ 1. विषिष्ट आवष्यकताओं की अपेक्षा वाले बच्चों को चिन्हित करना - प्रत्येक वर्ष 70 जनपदों में कुटुम्ब सर्वेक्षण के अन्तर्गत 0-14 आयु वर्ग में विषिष्ट आवष्यकता की अपेक्षा रखने वाले बच्चों को चिन्हित किया जाता है।  2.विशिष्ठ आवश्यकता(सी डब्ल्यू एस एन) की अपेक्षा करने वाले बच्चों का समेकीकरण् 3.चिकित्सीय / स्वास्थ्य निर्धारण शिविर  4.विशिष्ठ आवश्यकता की अपेक्षा करने वाले बच्चों(सी डब्ल्यू एस एन)को सहयोग प्रदान करने वाले यन्त्र / उपाय उपलब्ध् कराना  5.अध्यापकों का समेकीकित शैक्षिक विकास (आईईडी)में प्रशिक्षण सी डब्ल्यू एस एन को उनकी कक्षाओं में शैक्षिक समर्थन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अध्यापकों का आई ई डी में ५ दिवसीय अभिमुखीकरण (ओरियन्टेशन) प्रशिक्षण किया गया।6.संसाधन अध्यापकों का ४५ दिवसीय प्रशिक्षण डी आई ई टी के प्रवक्ताओं / अध्यापकों को ४ दिवसों का दीर्घावधि प्रशिक्षण दिया गया ताकि वे अपने सम्बन्धित ब्लाक / समष्टि(क्लस्टर) के समस्त प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालायों को संसाधन व्यक्तियों के रूप में शैक्षिक समर्थन उपलब्ध कराने की भूमिका का निर्वाह कर सकें।
शिक्षाप्रद विषयवस्तु समग्री का विकास असमर्थता / विकलांगता के ठोस अनुभव एवं अभिभावकों को कौशल एवं परिकल्पना प्रशिक्षण में पथप्रदर्शन उपलब्ध् कराने के उद्देश्य से ६ फोल्डर, एक अध्यापक, हस्त पुस्तिका / गुटका, सृजनात्मक समान अवसर सम्मिलित / समावेश करने की दिशा में एवं अभिलाषा तैयार की मुद्रित कराये जा चुके हैं।
अभि भा वकों के परामर्शः असमर्थता / विकलांगता पर यथोचित ज्ञान एवं चूतना विकसित करने के उद्देश्य से सी डब्ल्यू एस एन के १५-२० सक्रिय अभिवावकों को सी डब्ल्यू एस एन बच्चों को शिक्षित⁄ प्रशिक्षित करने की प्रणाली में जानकारी देकर उनकी सहायता की गयी। सी डब्ल्यू एस एन का समेकीकित शैक्षिक कार्यक्रम (आई ई पी) तैयार गया। आई ई पी के अर्न्तगत निम्नांकित सोपानों पर परामर्श दिया गया ावक टोली बनी और ३०२ बैठकें हुयी। लाभार्थी अभिभावक ३०२। 
सी डब्ल्यू एस एन की अद्यातन स्थिति, सहायक यंत्रों / उपकरणों का रखरखाव, शिक्षण् तकनीकियां, अभिमुखीकरण (ओरिएन्टेशन), गतिशीलता ⁄ क्रियाशीलता एवं वाक् उपचार । ७६ अभिवावक टोली बनी और ३०२ बैठकें हुयी। लाभार्थी अभिभावक ३०२। विशिष्ट उ。प्र。 ओलम्पिक स मानसिक रूप से अविकसित / मन्द बुद्धि के शारीरिक एवं मानसिक विकास के उद्देश्य से विशिष्ट ओलम्पिक उ。प्र。 से समन्वय हुआ। आवासीय सेतु पाठ्यक्रम प्राथमिक शिक्षा के परिधि के अर्न्तगत सी डब्लू एस एन के छात्रों को सम्मिलित किये बिना प्राथमिक शिक्षा के व्यापक विकास का लक्ष्य नहीं प्राप्त किया जा सकता है।
आवश्यकता गम्भीर रूप से असमर्थ / विकलांग बच्चों को सहजता से स्वीकार नहीं किया जाता है कारण कि उत्तर प्रदेश में ऐसे विशिष्ट शासकीय विद्यालय बहुत कम संख्या में हैं। इसी पृष्ठभूमि में गम्भीर रूप से दृष्टि एवं श्रवण क्षमता से क्षतिग्रस्त बच्चों हेतु ३ मास के आवासीय सेतु पाठ्क्रम की पहल की गयी। गम्भीर वी-१ एवं एच-१ बच्चों हेतु क्रमशः गोरखपुर एवं बस्ती में वर्ष २००४-२००५ में सेतु पाठ्यक्रम जैसी प्रायोगिक अग्रगामी परियोजना प्रारम्भ की गयी। आशातीत / उत्कृष्ट सफलता के कारण गम्भीर वी-१ एवं एच -१ बच्चों हेतु इस प्रकार के सेतु पाठ्यक्रम का विस्तार प्रदेश अन्य जनपदों में क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया। सेतु पाठ्यक्रम लक्ष्य, नीति एवं विषयवस्तु निम्नवत् है लक्ष्य - नियमित विद्यालयों में समेकीकरण की सफलता हेतु तत्परता के हुनर का विकास।
- नियमित कक्षाओं में तात्कालिक समावेश हेतु शैक्षिक पटुता एवं अवधारण का विकास ।
- स्वातन्त्रता , आत्मविश्वास एवं अभिप्रेरणा के भाव का विकास ।
- बच्चों को विविध प्रकार परिवेश से परिचित / भिज्ञ कराना ताकि विद्यालय में समावेश के साथ साथ उनका समुदाय एवं समाज में भी समावेश हो जाये।
नीति - डी पी ओ द्वारा जनपदीय स्तर पर आयोजित किया जाता है।
- केवल गम्भीर रूप से दृष्टि एवं श्रवण क्षमता से क्षतिग्रस्त बच्चों का पंजीकरण किया गया।
- ʺविद्यालय विहीनʺ बच्चों को प्राथमिकता दी गयी।
- आवसीय सुविधा एवं आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये गये।
- नियमित निरीक्षण एवं मूल्यांकन
- सेतु पाठ्यक्रम के परिपूर्ण होने के पश्चात् नियमित विद्यालययों में बच्चों को स्थापित करना अर्थात् उनमें प्रवेश देना।
विवरण पाठ्यक्रम
दृष्टि क्षमता से क्षतिग्रस्त हेतु

- परिचय / भिज्ञता (अभिमुखीकरण)एवं गतशीलता / क्रियाशीलता ।
- दैनिक जीवन यापन की गतिविधियां ।
- ज्ञानेन्द्रिय / संवेदनशीलता प्रशिक्षण ।
- ब्रेल भाषा में पठन सएवं सुलेख ।
- विशिष्ट यंत्रों का उपयोग ।
- सामाजिक पटुता / कौशल विकास।
श्रवण क्षमता से क्षतिग्रस्त हेतु

- विशिष्ट यंत्रों का उपयोग (व्यक्तिगत श्रवण उपकरण आदि)
- वाक् एवं भाषा विकास
- श्रवण प्रशिक्षण
- संचार / आदानप्रदान कौशल
- दैनिक जीवन यापन की गतिविधियां
- सामाजिक पटुता / कौशल का विकास
बच्चों की अभूतपूर्व / विलक्षण उपलब्धि हुयी। कक्षा-५ में ४७ बच्चे पंजीकृत किये गये। सी डब्लू एस एन में अब तक 911 बच्चों को नियमित विद्यालयों में पंजीकृत कराते हुये सर्वमान्य कराया जा चुका है। जनपदों में भ्रमणशील अध्यापक चयनित कर लिये गये हैं एवं सी डब्लू एस एन के सेतू पाठ्यक्रम में नियमित समर्थन प्रदान करेंगे जिससे सी डब्लू एस एन का सेतू पाठ्यक्रम प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्यों को पूर्ण कर सकेगा। यह यात्रा अन्धकार से प्रकाश की ओर एवं श्याम वर्ण से बहुरंगी परिवेश की यात्रा थी और पूर्वावलोकन (दृष्टि पीछे करके देखने पर ) में सभी अनुभव नये थे। जगत नारायण जो दृष्टि अपवर्तन (रिफरैक्टिव) के दोष के शिकार थे, जिला अंध नियंत्रण संस्थान गोरखपुर द्वारा उन्हें अभिबिन्दुता ताल (कनवरजेन्स लेन्स) उपलब्ध कराया गया। क्रमशः दो शल्यक्रिया के पश्चात शैलेष को किंग जार्ज मेडिकल कलेज मेंतरल प्रतिरोपण (लेन्स ट्रान्सप्लानटेशन) के पश्चात चक्षु दृष्टि वापिस प्राप्त् हो गयी। अभिवावक टिप्पणी दीपावली के अवकाश के समय, जब सोमनाथ हमसे मिले, हम उनके शैक्षिक उपलब्धि से प्रभावित हुये, ʺ हमारी आंखों को विश्वास नहीं हुआ ----------कौन कहेगा हमारा पौत्र अन्धा हैʺ? सोमनाथ के पितामह भ्रमणशील अध्यापक ये अध्यापक एक ब्लाक के ८-१० चयनित विद्यालयों हेतु उत्तरदायी हैं। किसी विशिष्ट असमर्थता / विकलांगता से पीडि़त बच्चों की संख्या के अधार पर ही विद्यालयों का चयन निर्धारित होता हैं । अध्यापकों की ब्लाक स्तर पर तैनाती की जा चुकी है। भ्रमणशील अध्यापकों द्वारा प्रादेशिक स्त र की दो दिवसीय अभिमुखीकरण (ओरियन्टेशन) प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया गया है।
संसाधन अध्यापक संसाधन अध्यापक समर्थन सेवाओं, प्रशिक्षण चिहनीकरण एवं सी डब्लू एस एन के समेकीकरण एवं निरंतर मूल्यांकन हेतु उत्तरदायी है। ढ़लान (रैम्प)का निर्माण बरेली की पाठ्य- पुस्तकें समेकीकित बाल विकास परियोजना (आई सी डी एस) का सुदृढ़ीकरण पूर्व समेकीकरण (प्रीइन्टीग्रेशन) कौशल विकास हेतु, आई सी डी एस कर्मिकों एवं सहयोगियों का प्रशिक्षण किया गया। आई र्अ डी की प्रगति हेतु कृपया प्रगति पृष्ठ देखें |